पांच दिवसीय योग शिविर

 

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चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ व क्रीड़ा भारती के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पांच दिवसीय योग शिविर के दूसरे दिन भी आज दिनाँक 18 जून 2021 को स्वामी कर्मवीर जी के निर्देशन में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ जिसमें राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई (डी ए वी डिग्री कॉलेज बुढ़ाना मुजफ्फरनगर )ने भी सक्रियता के साथ प्रतिभागिता की। स्वामी जी अपने ओजस्वी उद्बोधन में बतलाया कि -

बिना अध्यात्म के हमारा जीवन जीवंत नहीं हो सकता. जीवात्मा एक नहीं अनेक जन्म ले चुका है और मृत्यु को प्राप्त हो चुका पर जन्म मृत्यु का यह क्रम रुकता नहीं है. इसे यदि कोई रोकने का माध्यम है तो वह है योग. महर्षि पतंजली की शिक्षायें व उपदेश ही इसे रोक सकती हैं और हमें मुक्ति मार्ग की ओर ले जा सकती हैं. इसमें सबसे बड़ी बाधा हमारा मन है जो ध्यान की अवस्था में बैठते ही हमें न जाने किस किस ओर भटकाता है और ध्यान में अवस्थित नहीं होने देता. महर्षि कपिल ने इस विषय में कहा है कि - मन का निर्विषय हो जाना ही  ध्यान की उच्च अवस्था है. ध्यान की उच्च अवस्था प्राप्त कैसे करेंA स्वामी जी इस संदर्भ में  उल्लेख करते हैं कि गीता में योगीराज श्री कृष्ण व अर्जुन के मध्य संवाद esa अर्जुन श्री कृष्ण से पूछते हैं कि  - हमारा मन बहुत चंचल है  à¤•à¥ˆà¤¸à¥‡ वश में करें. इसी संदर्भ में महर्षि पतंजली कहते हैं - मन को अभ्यास व वैराग्य के द्वारा हम रोक सकते हैं. यह श्रृंखला है जीवन की जब तक हम मन को शांत नहीं कर पायेंगें हम भी अशांत रहेंगें और योग दिशा में आगे नहीं बढ़ सकते. इसके लिए हमें मन को शांत करना है जिसका साधन है प्राणायाम. मन को योग के माध्यम से स्थिर कर सकते हैं. स्वामी जी ने सर्वप्रथम महायोग क्रिया प्राणायाम का अभ्यास कराया. प्राणायाम की यह एक श्रृंखला है. यह मन को शांत करता हैA एकाग्रता लाता हैA रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है. कोरोना काल में यह अत्यंत लाभदायक रहा. स्वामी जी निर्देशित करते हैं पौष्टिक व शाकाहार भोजन करें. स्वामी जी द्वारा मृदु कपाल भाति] चंद्र भेदी  व सूर्यभेदी प्राणायाम] पीठ व पेट को स्वस्थ रखने के लिए अनेक योगाभ्यास कराये गये. स्वामी जी ने योगाभ्यास के दौरान बतलाया कि पशुविश्रामासन करने मात्र से पूरा शरीर स्वस्थ होता है. यह घुटने] टखने व हिप ज्वाइंट को ठीक रखता है. मंडूक आसन पेट के लिए विशेष रूप से मधुमेह बीमारी से बचाव के लिए करें. कूर्मासन के पश्चात नौकासन कराते हुए स्वामी जी ने सूचित किया कि नौकासन दस बार करने से पेट स्वस्थ रहेगा व मधुमेह से बचाव होगा। स्वामी जी का एक महत्वपूर्ण संदेश यही है कि - प्रिवेंशन इज बैटर दैन क्योर. जो योगाभ्यास के माध्यम से ही संभव है। इस अवसर पर स्वयंसेवक मीनाक्षी व कार्यक्रम अधिकारी डॉ शिखा कौशिक की सहभागिता सराहनीय रही।